चीन विवाद पर बोले पीएम नरेन्द्र मोदी सेना को दी जायेगी खुली छूट

अभिव्यक्ति न्यूज़ : उत्तराखंड 

दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज सर्वदलीय बैठक बुलाई। वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत और चीन की सेना के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद बने हालात पर बैठक थी. इस मीटिंग में 20 दलों को बुलाया गया। इनमें से 10 दलों ने खुलकर सरकार का साथ दिया और कहा कि इस वक्त में हम सभी एक हैं। इनमें तृणमूल, जदयू, बीजद जैसे दल शामिल थे। शिवसेना चीफ और महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे काफी अग्रेसिव दिखे उन्होंने कहा कि हमारी सरकार में ताकत है कि वह आंखें निकालकर हाथ में दे दे। केवल कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मोदी सरकार से सवाल किए।
किस नेता ने क्या कहा ?
-नीतीश ने कहा-देश जानता है कि चीन ने 1962 में क्या किया था, यह वक्त सभी दलों के एकजुट रहने का है
-ममता ने कहा-हम मजबूती से सरकार के साथ हैं, भारत जीतेगा और चीन हारेगा, हमें मिलकर काम करना होगा
-सोनिया ने तीन सवाल पूछे- पहला इस बैठक को काफी पहले होना चाहिए था। इस मंच पर भी काफी कुछ अंधेरे में ही है। मोदी सरकार बताए कि चीन के सैनिकों ने घुसपैठ कब की? सरकार को इस बारे में कब पता चला?
दूसरा क्या सरकार के पास सैटेलाइट इमेज नहीं थी? इन असामान्य गतिविधियों के बारे में कोई इंटेलीजेंस रिपोर्ट नहीं मिली थी? तीसरा माउंटेन स्ट्राइक कोर की मौजूदा स्थिति क्या है? देश यह भरोसा चाहता है कि सीमा पर पहले जैसे हालात स्थापित हो जाएंगे। विपक्षी पार्टियों को इस बारे में लगातार जानकारी दी जाए।
जिन दलों ने सरकार का साथ दिया वे हैं.
तृणमूल
जनता दल यूनाइटेड
शिवसेना
समाजवादी पार्टी
सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा
टीआरएस
डीएमके
एनपीपी
बीजद
वाईएसआर कांग्रेस
राकांपा ने कहा-यह मसला संवेदनशील, इसका सम्मान करें. राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि हमें इस संवेदनशील मुद्दे का सम्मान करना चाहिए। सैनिक हथियार ले गए थे या फिर नहीं, यह फैसला अंतरराष्ट्रीय समझौतों के तहत किया गया है।
वहीँ सीपीआई के डी राजा ने कहा– हमें अमेरिका की उन कोशिशों का विरोध करना चाहिए, जिनके जरिए वो हमें अपने साथ मिलाना चाहता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने राजनीतिक दलों को बताया हमारी सीमा में किसी ने घुसपैठ नहीं की और ना ही चीन ने हमारी किसी पोस्ट पर कब्जा किया। हमारे 20 जवान शहीद हुए, लेकिन जिन्होंने भारत माता को चुनौती दी थी, उन्हें वे सबक सिखाकर गए हैं। उनके शौर्य को पूरा देश याद रखेगा। उनके बलिदान से सभी आहत हैं। यह भावना इस बैठक में भी जाहिर हुई है।
साथ ही उन्होंने कहा जवान तैनात करने हैं, एक्शन लेना है। हमारे देश की रक्षा के लिए सशस्त्र सेनाओं को जल, थल, नभ से जवाब देना है, जो कुछ भी करना है, वो करेंगी। सेना के बारे में कहा हमारी सेना देश की रक्षा के लिए कसर नहीं छोड़ रही है। आज हमारे पास वह ताकत है कि कोई हमारी एक इंच जमीन पर भी नजर नहीं डाल सकता। भारतीय सशस्त्र सेनाओं के पास आज वह क्षमता है कि वह कई मोर्चों पर एक साथ लड़ सकती हैं।
दोनों तरह से कोशिश कर रहे हैं, हमने जहां एक तरफ सेना को अपने स्तर पर उचित कदम उठाने की छूट दी है, वहीं दूसरी तरफ डिप्लोमैटिक जरियों से भी चीन को अपनी बात दो टूक स्पष्ट कर दी है। भारत शांति और दोस्ती चाहता है, लेकिन अपनी संप्रभुता की रक्षा हमारे लिए सर्वोपरि है। आप सबने इसी भाव को प्रकट किया है।
आधारभूत ढांचा बढ़ाने पर जोर दिया. उन्होंने बताया बीते 5 साल में देश ने अपनी सीमाओं को सुरक्षित करने के लिए सीमाई इलाकों में इन्फ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने पर जोर दिया। फाइटर प्लेन, आधुनिक हेलिकॉप्टर, मिसाइल डिफेंस सिस्टम पर भी हमने जोर दिया है।
जो किया उस आधार पर हम कह सकते हैं नए इन्फ्रास्ट्रक्चर की वजह से खासकर एलएसी में हमारी निगरानी की क्षमता बढ़ गई है। पेट्रोलिंग की वजह से सतर्कता बढ़ी है। एलएसी पर हो रही गतिविधियों के बारे में भी पता चला है। जिन इलाकों में पहले नजर नहीं रहती थी, वह पर भी हमारे जवान निगरानी और एक्शन ले पा रहे हैं।
वहां पर हालात कठिन लेकिन जवान डेट रहते हैं.अब तक जिनको कोई पूछता नहीं था, कोई रोकता नहीं था। अब हमारे जवान डगर-डगर पर उन्हें रोकते और टोकते हैं। हमारे जवान कठिन परिस्थितियों में तैनात रहते हैं और इन्फ्रास्ट्रक्चर की मदद से उन्हें साजो-सामान पहुंचाने में आसानी होती है।
देश सबसे ऊपर है हमारे लिए. किसी के दवाब में नहीं आने वाले हम.देश और देशवासियों का हित हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता रही है। कनेक्टिविटी, काउंटर टेररिज्म हो, भारत ने कभी किसी बाहरी दबाव को स्वीकार नहीं किया। राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जो जरूरी इन्फ्रास्ट्रक्चर का निर्माण है, उसे इसी तरह तेज गति से किया जाता रहेगा।
प्रधानमंत्री ने भरोसा दिलाया और कहा सभी को, सभी राजनीतिक दलों को आश्वस्त करता हूं कि हमारी सेनाएं सीमाओं की रक्षा करने में पूरी तरह सक्षम हैं। हमने उन्हें कार्रवाई की पूरी छूट दी हुई है।

एक साथ होने से मनोबल बढ़ेगा अलग सन्देश जायेगा. प्रधानमंत्री ने कहा आपके सुझाव हमारे लिए फायदेमंद होंगे। आप सभी आगे आए। इससे सेना का मनोबल बढ़ेगा, देश का मनोबल बढ़ेगा और दुनिया को जो संदेश जाना चाहिए, वह पहुंचेगा।
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