अभिव्यक्तिन्यूज़ : उत्तराखंड
प्रेरणा दायनी प्रेरक प्रस॔ग---रामायण की प्रमुख पात्र लक्ष्मण की पत्नी उर्मिला का त्याग---लेखक --अखिलेश चन्द्र चमोला ।स्वर्ण पदक प्राप्त । राज्यपाल पुरस्कार तथा अनेकों राष्ट्रीय सम्मानोपाधियो से सम्मानित ।हमारी भारतीय सन्स्कृति विशाल और अपने आप में अनेकों उच्चादर्श समेटे हुए हैं ।इसी कारण हमारे भारतवर्ष को जगत् गुरु की प्रतिष्ठा मिली।यहां स्वार्थ से अभिप्रेरित होकर कार्य करने में आनंद नहीं आता है।सर्व जन सुखाय,सर्व जन हिताय ही यहाँ के लोगों का उद्देश्य रहा है ।हमारी भारतीय संस्कृति की यही प्रमुख विशेषता रही है कि यहाँ दूसरे के त्याग व कल्याण को ही महत्व दिया जाता रहा है ।हमारे प्राचीन ग्रन्थ रामायण,महाभारत में अद्भुत प्रेरक प्रस॔ग देखने को मिलते हैं ।ये ग्रन्थ हमारे उच्चादर्श तथा बहुमूल्य धरोहर के रूप में हैं ।यहां त्याग तथा जनकल्याण में मातृ शक्ति भी पीछे नहीं रही।इसका जीता जागता उदाहरण भारतीय नारी उर्मिला का है।जो त्याग की साक्षात प्रतिमूर्ति के रूप में जानी जाती है । चौदह वर्ष वनवास की अवधि पूरी होने पर प्रभु श्री राम,लक्ष्मण,सीता सहित अयोध्या लौटे।अयोध्या में इनका भव्य स्वागत हुआ ।लक्ष्मण हर क्षण प्रति क्षण अपने भ्राता प्रभु श्री राम के साथ ही रहते थे।प्रभु श्री राम चन्द्र जी ने लक्ष्मण से कहा --भ्राता लक्ष्मण तुम उर्मिला से मिलो।वह चौदह वर्षों से तुम्हारी प्रतीक्षा की वाट जोह रही है ।तुम्हें मेरी सेवा के अतिरिक्त कुछ भी नहीं दिखाई दे रहा है।अपने अग्रज भ्राता श्री राम चन्द्र जी के कहने पर लक्ष्मण उर्मिला को मिलने गये ।उर्मिला ने मिलते ही अपने पति से एक प्रश्न किया ।मुझे इस बात का आश्चर्य है कि आप जैसे शूरवीर योद्धा के होने पर भी लंकापति राजा रावण ने वहिन सीता का अपहरण किया ।बहिन सीता को तरह तरह के कष्ट दिये।उर्मिला की इस तरह की बातों को सुनकर लक्ष्मण हतप्रभ रह गये।मन ही मन उर्मिला के त्याग की प्रशंसा करते हुए कहने लगे---उर्मिला तुम धन्य हो।चौदह वर्ष तक तुमने मेरे वियोग में पता नहीं क्या क्या कष्ट सहन किये?तुम्हें अपने कष्ट कहीं नजर नहीं आ रहे हैं ।।भाभी सीता के लिए चिन्तित होकर मुझे डाॅट रही हो।वास्तव मे तुम कितनी आदर्श व महानता से परिपूर्ण हो ।मैं तुम जैसी श्रेष्ठ नारी का पति होने पर गर्व करता हूँ ।तुम्हें हृदय से नमन करता हूँ ।
प्रेरणा दायनी प्रेरक प्रस॔ग---रामायण की प्रमुख पात्र लक्ष्मण की पत्नी उर्मिला का त्याग---लेखक --अखिलेश चन्द्र चमोला ।स्वर्ण पदक प्राप्त । राज्यपाल पुरस्कार तथा अनेकों राष्ट्रीय सम्मानोपाधियो से सम्मानित ।हमारी भारतीय सन्स्कृति विशाल और अपने आप में अनेकों उच्चादर्श समेटे हुए हैं ।इसी कारण हमारे भारतवर्ष को जगत् गुरु की प्रतिष्ठा मिली।यहां स्वार्थ से अभिप्रेरित होकर कार्य करने में आनंद नहीं आता है।सर्व जन सुखाय,सर्व जन हिताय ही यहाँ के लोगों का उद्देश्य रहा है ।हमारी भारतीय संस्कृति की यही प्रमुख विशेषता रही है कि यहाँ दूसरे के त्याग व कल्याण को ही महत्व दिया जाता रहा है ।हमारे प्राचीन ग्रन्थ रामायण,महाभारत में अद्भुत प्रेरक प्रस॔ग देखने को मिलते हैं ।ये ग्रन्थ हमारे उच्चादर्श तथा बहुमूल्य धरोहर के रूप में हैं ।यहां त्याग तथा जनकल्याण में मातृ शक्ति भी पीछे नहीं रही।इसका जीता जागता उदाहरण भारतीय नारी उर्मिला का है।जो त्याग की साक्षात प्रतिमूर्ति के रूप में जानी जाती है । चौदह वर्ष वनवास की अवधि पूरी होने पर प्रभु श्री राम,लक्ष्मण,सीता सहित अयोध्या लौटे।अयोध्या में इनका भव्य स्वागत हुआ ।लक्ष्मण हर क्षण प्रति क्षण अपने भ्राता प्रभु श्री राम के साथ ही रहते थे।प्रभु श्री राम चन्द्र जी ने लक्ष्मण से कहा --भ्राता लक्ष्मण तुम उर्मिला से मिलो।वह चौदह वर्षों से तुम्हारी प्रतीक्षा की वाट जोह रही है ।तुम्हें मेरी सेवा के अतिरिक्त कुछ भी नहीं दिखाई दे रहा है।अपने अग्रज भ्राता श्री राम चन्द्र जी के कहने पर लक्ष्मण उर्मिला को मिलने गये ।उर्मिला ने मिलते ही अपने पति से एक प्रश्न किया ।मुझे इस बात का आश्चर्य है कि आप जैसे शूरवीर योद्धा के होने पर भी लंकापति राजा रावण ने वहिन सीता का अपहरण किया ।बहिन सीता को तरह तरह के कष्ट दिये।उर्मिला की इस तरह की बातों को सुनकर लक्ष्मण हतप्रभ रह गये।मन ही मन उर्मिला के त्याग की प्रशंसा करते हुए कहने लगे---उर्मिला तुम धन्य हो।चौदह वर्ष तक तुमने मेरे वियोग में पता नहीं क्या क्या कष्ट सहन किये?तुम्हें अपने कष्ट कहीं नजर नहीं आ रहे हैं ।।भाभी सीता के लिए चिन्तित होकर मुझे डाॅट रही हो।वास्तव मे तुम कितनी आदर्श व महानता से परिपूर्ण हो ।मैं तुम जैसी श्रेष्ठ नारी का पति होने पर गर्व करता हूँ ।तुम्हें हृदय से नमन करता हूँ ।
0 Comments:
Post a Comment