अभिव्यक्ति न्यूज़ : उत्तराखंड
पिथौरागढ़। पिथौरागढ़ से 93 किलोमीटर दूर बंगापानी तहसील के टांगा और गैला गांव में रविवार देर रात हुई अतिवृष्टि ने भारी तबाही मचाई। पहाड़ी से पानी के उफान के साथ हुए भूस्खलन के कारण कई घर जमींदोज हो गए। गैला गांव में दंपती, बेटी की मौत हो गई। पांच लोग घायल हैं। टांगा मुनियाल गांव में 11 लोग लापता थे, जिसमें से दो के शव मलबे में दिखे हैं।
यहां भी तीन मकान ध्वस्त हुए हैं। टांगा के ऊपर पहाड़ी पर 100 से अधिक दरारें पड़ी हैं। पूरे गांव का वजूद संकट में आ गया है। राहत और बचाव कार्य के लिए एसडीआरएफ, पुलिस, राजस्व और आपदा प्रबंधन की टीम सोमवार को मौके पर पहुंच गई। गैला में तीनों शवों को मलबे से निकाल लिया गया है। ग्रामीणों के अनुसार यह तबाही बादल फटने से हुई है, जबकि एडीएम आरडी पालीवाल के अनुसार बादल नहीं फटा बल्कि अतिवृष्टि के कारण जन-धन का नुकसान हुआ है।
टांगा गांव बंगापानी से सात किलोमीटर और गैला गांव 12 किलोमीटर दूर है। रविवार को रात 12 बजे बाद इलाके में जबर्दस्त बारिश हुई। ऊपर पहाड़ी से गरज के साथ पानी इकट्ठा होकर नीचे गांव की ओर आ गया। इससे कमजोर पहाड़ी से भूस्खलन शुरू हो गया। पानी के साथ आया मलबा रास्ते में पड़ने वाले घरों को जमींदोज करता हुआ खेतों में पट गया। घनघोर बारिश और घुप अंधेरे में लोग अपना बचाव भी नहीं कर सके। इन गांवों के रास्तों का नामोनिशान मिट गया है। पहाड़ियां लगातार दरक रही हैं। विधायक हरीश धामी ने भी मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया। वे खुद और प्रशासन की टीम लोगों को सुरक्षित स्थान स्थानों पर ले जाने का काम कर रहे हैं।
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पिथौरागढ़ में दैवी आपदा के कारण हुई जनहानि पर मुख्यमंत्री ने किया शोक व्यक्त
-घटना को बताया दुःखद, राहत कार्य युद्ध स्तर पर चलाये जाने के दिये निर्देश
देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने जनपद पिथौरागढ की तहसील बंगापानी के अंतर्गत कई गांवों में भारी वर्षा, भूस्खलन एवं भू कटाव के हुई जनहानि पर गहरा दुःख व्यक्त किया है। उन्होंने जिलाधिकारी पिथौरागढ़ को निर्देश दिए हैं कि राहत और बचाव कार्य में किसी तरह की कोताही न बरती जाए। इस घटना की जानकारी मिलते ही मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारी पिथौरागढ़ को आपदा प्रभावित क्षेत्रों में राहत एवं बचाव कार्यों के लिए प्रभावित क्षेत्र में तुरंत एसडीआरएफ की एक टीम और भेजे जाने के निर्देश दिए। प्रभावितों को तत्काल अनुमन्य राहत राशि उपलब्ध कराने के साथ ही साथ ही जरूरी सुविधाएं भी मुहैया कराने के निर्देश मुख्यमंत्री ने दिए हैं। जो लोग अभी तक लापता हैं, उनकी खोज के लिए तत्काल युद्ध स्तर पर खोज अभियान शुरू किया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा की दृष्टि से राज्य के लिये यह समय हर वक्त सतर्क रहने का है। सभी जिलाधिकारी इस प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं के प्रति सतर्कता के साथ हर समय सचेत रहें। जिलों में आपदा प्रबंधन तंत्र को और अधिक प्रभावी बनाया जाए। आपदा के दौरान राहत एवं बचाव कार्य अविलम्ब आरम्भ हो जाए, यह सुनिश्चित किया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि राहत एवं बचाव कार्यों हेतु त्वरित सहायता आदि के लिये जिलाधिकारियों को धनराशि उपलब्ध करायी गयी है। आपदा पीड़ितों की हर संभव मदद के लिये धनराशि की कमी नहीं होने दी जायेगी। उन्होंने कहा कि सतर्कता के साथ ही हम आपदा के नुकसान को कम कर सकते हैं। उन्होंने जिलाधिकारियों को मौसम के पूर्वानुमान की जानकारी आम जानता को नियमित रूप से अवगत कराने तथा संवेदनशील स्थलों, गांवों एवं भवनों आदि की स्थिति का आंकलन भी नियमित रूप से किये जाने के निर्देश दिये हैं। मुख्यमंत्री ने कुमाऊँ एवं गढ़वाल आयुक्तों को भी इस प्रकार की घटनाओं के प्रति सजगता के साथ त्वरित कार्यवाही करने को कहा है। मुख्यमंत्री ने सचिव आपदा प्रबंधन एवं आई.जी. एसडीआरएफ को भी निरन्तर जिलाधिकारियों के सम्पर्क में रहने तथा उनकी समस्याओं का त्वरित समाधान के भी निर्देश दिये हैं।
पिथौरागढ़। पिथौरागढ़ से 93 किलोमीटर दूर बंगापानी तहसील के टांगा और गैला गांव में रविवार देर रात हुई अतिवृष्टि ने भारी तबाही मचाई। पहाड़ी से पानी के उफान के साथ हुए भूस्खलन के कारण कई घर जमींदोज हो गए। गैला गांव में दंपती, बेटी की मौत हो गई। पांच लोग घायल हैं। टांगा मुनियाल गांव में 11 लोग लापता थे, जिसमें से दो के शव मलबे में दिखे हैं।
यहां भी तीन मकान ध्वस्त हुए हैं। टांगा के ऊपर पहाड़ी पर 100 से अधिक दरारें पड़ी हैं। पूरे गांव का वजूद संकट में आ गया है। राहत और बचाव कार्य के लिए एसडीआरएफ, पुलिस, राजस्व और आपदा प्रबंधन की टीम सोमवार को मौके पर पहुंच गई। गैला में तीनों शवों को मलबे से निकाल लिया गया है। ग्रामीणों के अनुसार यह तबाही बादल फटने से हुई है, जबकि एडीएम आरडी पालीवाल के अनुसार बादल नहीं फटा बल्कि अतिवृष्टि के कारण जन-धन का नुकसान हुआ है।
टांगा गांव बंगापानी से सात किलोमीटर और गैला गांव 12 किलोमीटर दूर है। रविवार को रात 12 बजे बाद इलाके में जबर्दस्त बारिश हुई। ऊपर पहाड़ी से गरज के साथ पानी इकट्ठा होकर नीचे गांव की ओर आ गया। इससे कमजोर पहाड़ी से भूस्खलन शुरू हो गया। पानी के साथ आया मलबा रास्ते में पड़ने वाले घरों को जमींदोज करता हुआ खेतों में पट गया। घनघोर बारिश और घुप अंधेरे में लोग अपना बचाव भी नहीं कर सके। इन गांवों के रास्तों का नामोनिशान मिट गया है। पहाड़ियां लगातार दरक रही हैं। विधायक हरीश धामी ने भी मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया। वे खुद और प्रशासन की टीम लोगों को सुरक्षित स्थान स्थानों पर ले जाने का काम कर रहे हैं।
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पिथौरागढ़ में दैवी आपदा के कारण हुई जनहानि पर मुख्यमंत्री ने किया शोक व्यक्त
-घटना को बताया दुःखद, राहत कार्य युद्ध स्तर पर चलाये जाने के दिये निर्देश
देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने जनपद पिथौरागढ की तहसील बंगापानी के अंतर्गत कई गांवों में भारी वर्षा, भूस्खलन एवं भू कटाव के हुई जनहानि पर गहरा दुःख व्यक्त किया है। उन्होंने जिलाधिकारी पिथौरागढ़ को निर्देश दिए हैं कि राहत और बचाव कार्य में किसी तरह की कोताही न बरती जाए। इस घटना की जानकारी मिलते ही मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारी पिथौरागढ़ को आपदा प्रभावित क्षेत्रों में राहत एवं बचाव कार्यों के लिए प्रभावित क्षेत्र में तुरंत एसडीआरएफ की एक टीम और भेजे जाने के निर्देश दिए। प्रभावितों को तत्काल अनुमन्य राहत राशि उपलब्ध कराने के साथ ही साथ ही जरूरी सुविधाएं भी मुहैया कराने के निर्देश मुख्यमंत्री ने दिए हैं। जो लोग अभी तक लापता हैं, उनकी खोज के लिए तत्काल युद्ध स्तर पर खोज अभियान शुरू किया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा की दृष्टि से राज्य के लिये यह समय हर वक्त सतर्क रहने का है। सभी जिलाधिकारी इस प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं के प्रति सतर्कता के साथ हर समय सचेत रहें। जिलों में आपदा प्रबंधन तंत्र को और अधिक प्रभावी बनाया जाए। आपदा के दौरान राहत एवं बचाव कार्य अविलम्ब आरम्भ हो जाए, यह सुनिश्चित किया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि राहत एवं बचाव कार्यों हेतु त्वरित सहायता आदि के लिये जिलाधिकारियों को धनराशि उपलब्ध करायी गयी है। आपदा पीड़ितों की हर संभव मदद के लिये धनराशि की कमी नहीं होने दी जायेगी। उन्होंने कहा कि सतर्कता के साथ ही हम आपदा के नुकसान को कम कर सकते हैं। उन्होंने जिलाधिकारियों को मौसम के पूर्वानुमान की जानकारी आम जानता को नियमित रूप से अवगत कराने तथा संवेदनशील स्थलों, गांवों एवं भवनों आदि की स्थिति का आंकलन भी नियमित रूप से किये जाने के निर्देश दिये हैं। मुख्यमंत्री ने कुमाऊँ एवं गढ़वाल आयुक्तों को भी इस प्रकार की घटनाओं के प्रति सजगता के साथ त्वरित कार्यवाही करने को कहा है। मुख्यमंत्री ने सचिव आपदा प्रबंधन एवं आई.जी. एसडीआरएफ को भी निरन्तर जिलाधिकारियों के सम्पर्क में रहने तथा उनकी समस्याओं का त्वरित समाधान के भी निर्देश दिये हैं।
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