भक्ति का अनूठा अनुभव--अखिलेश चन्द्र चमोला

अभिव्यक्ति न्यूज़ : उत्तराखंड

भक्ति का अनूठा अनुभव--अखिलेश चन्द्र चमोला ।स्वर्ण पदक प्राप्त ।राज्यपाल पुरस्कार तथा अनेकों राष्ट्रीय सम्मानोपाधियो से सम्मानित ।हिन्दी अध्यापक तथा नशा उन्मूलन प्रभारी शिक्षा विभाग जनपद पौडी गढवाल ।तुलसीदास रामभक्ति शाखा के प्रति निधि कवि के रूप में जाने जाते हैं ।जब तुलसीदास जी ने रामचरितमानस की रचना पूरी कर डाली,तब भगवान श्री राम ने उन्हें पुरस्कार मांगने के लिए कहा ।तुलसीदास जी ने हाथ जोड़कर विनती की कि मुझे अपने चरणों की भक्ति दीजिये ।प्रभु श्री राम मुस्कराये और फिर कहा-तुम्हें कैसी भक्ति चाहिए?शबरी जैसी,भरत जैसी या फिर हनुमान जैसी ।तुलसीदास जी ने बडी विनम्रता पूर्वक से कहा--प्रभु ये उच्च श्रेणी के भक्त हैं ।मेरी बराबरी उनके साथ कहाँ की जा सकती है?अपनी भावनाओं को एक दोहे के माध्यम से इस तरह से व्यक्त किया--''कामहि नारि पियारी जिमि''प्रभु जैसे कामवासना वाला व्यक्ति एक नारी के प्रति आसक्ति रखता है ।साथ में एक बात और जोड़ दी''-लोभिहि प्रिय जिमि दाम'' लालची व्यक्ति को जैसा धन प्यारा लगता है ।वह उसे बटोरना चाहता है आप उसी प्रकार से मेरे प्रिय बन जाॅय।प्रभु श्री राम से कहा-कामी व्यक्ति का स्वभाव होता है कि जब उसे इच्छित वस्तु मिल जाती है,तो धीरे-धीरे उसकी आसक्ति कम होने लगती है ।लोभी ही इस तरह का होता है कि  उसकी आसक्ति कभी कम नहीं होती है।उसे हमेशा यह लगता है कि मेरे पास कम ही धन है।इसलिये जब तक आप प्राप्त नहीं होते हैं,तब तक मैं कामी बना रहूँ ।जब आपकी प्राप्ति हो जाती है,तब मैं लोभी बना रहूँ ।हर समय आपको पाने की लालसा करता रहूं ।प्रभु ने खुशी खुशी से अपने प्रिय भक्त तुलसीदास को आशीर्वाद दे दिया ।
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