हिमालय पुत्री गौरा देवी का चिपको आन्दोलन---लेखक--अखिलेश चन्द्र चमोला

अभिव्यक्तिन्यूज़ : उत्तराखंड

हिमालय पुत्री गौरा देवी का चिपको आन्दोलन---लेखक--अखिलेश  चन्द्र चमोला ।स्वर्ण पदक प्राप्त ।राज्यपाल पुरस्कार तथा अनेकों राष्ट्रीय सम्मानोपाधियो से सम्मानित---उत्तराखंड का सौन्दर्य अपने आप में अद्भुत व निराला है।यहां की नैसर्गिक सुन्दरता से आकृष्ट होकर महात्मा गांधी जी ने कहा--यदि धरती पर कहीं स्वर्ग है तो वह उत्तराखंड ही है।इसकी प्राकृतिक सुन्दरता के कारण मनीषियों ने  भारत माता को शस्य श्यामला,सुजला,सुफला  मलय जल शीतलता आदि कहकर चित्रित किया है ।हरियाली के दर्शन हमें खेतों,बागों और गाँव के आॅचल में दिखाई देते हैं ।इसी तरह से प्राकृतिक सुन्दरता से आच्छादित रैंणी गाँव भी है।इस गांव के चारों ओर हरियाली ही हरियाली है।यहां की प्राकृतिक सुन्दरता मनमोहक है।इसी गाँव से चिफको आन्दोलन की शुरुआत हुई ।चिपको आन्दोलन की सूत्रधार गौरा देवी थी।                                               गौरा देवी का जन्म सन् 1925ई0में उत्तराखंड के लाता गाँव के मरछिया परिवार में श्री नारायण के घर में हुआ था।उस समय बाल बिबाह का ज्यादा प्रचलन था ।इस कारण 12वर्ष की छोटी उम्र में गौरा देवी का विवाह रैंणी गाँव के मेहरबान सिंह के साथ हुआ ।यही से गौरा देवी के संघर्ष की शुरुआत होने लगी।मात्र 22वर्ष की अवस्था में पति परलोक सिधार गये ।गौरा देवी धैर्य की प्रतिपूर्ति थी।बडे संघर्ष से काम करने लगी।सुबह जंगल जाना ,पशुओं के लिए चारा पत्ती ,रसोई के लिए सूखी लकडियाॅ लाना ये दिनचर्या बन गई।इस प्रकार के क्रियाकलापों से गौरा देवी का ज॔गल के प्रति प्रेम हो गया ।                                     सन् 1970में अलकनंदा नदी में भयंकर बाढ़ आ गई।इस बाढ़ से गाँव के गाँव निर्जन हो गये।अपार जन धन की हानि हुई ।इस आपदा ने गौरा देवी के हृदय को झकझोर दिया ।गौरा देवी ने चिंतन मनन करके यह निष्कर्ष निकाला कि हमें पहाड़ की सुरक्षा करनी है ,तो जंगलों को बचाना होगा ।यद्यपि गौरा देवी पढी लिखी नहीं थी,लेकिन प्राचीन वेद पुराण ,रामायण,भागवत गीता, महाभारत आदि की अच्छी जानकारी थी।गौरा देवी जंगलों को अपना मायका मानती थी।गौरा देवी का कहना था कि हमें यहाँ से तरह तरह की जडी बूटियाँ मिलती हैं ।सम्पूर्ण पृथ्वी का अस्तित्व वनों पर ही निर्भर करता है ।यदि हम पेड़ पौधे काटेगें तो प्रकृति का संतुलन बिगड़  जायेगा ,और बाढ़ आने की संभावना बढ जायेगी ।गौरा देवी ने बृक्ष बचाओ का संकल्प लिया ।गांव मे महिलाओं और युवाओं को जागरूक करने लगी।जब भी समय मिलता वृक्षारोपण का कार्य करती रहती ।धीरे-धीरे गौरा देवी की लोकप्रियता बढने लगी।गांव में महिला मंगल दल का गठन किया गया ।गौरा देवी महिला मंगल दल की अध्यक्ष बन गई।अध्यक्ष बनने पर गौरा देवी समय समय पर सभाओं का भी आयोजन करने लगी।इससे गाँव तथा सम्पूर्ण क्षेत्र में एक नई जन जागरूकता आ गई।लोगों का वृक्षों के प्रति प्रेम होने लगा।एक बार गौरा देवी के गाँव में एक घटना घटित हुई ।हरे भरे वृक्षों को काटने की बोली लगने लगी।ठेकेदार गौरा देवी के व्यक्तित्व से परिचित था।इस डर से उसने  योजना के अनुसार काम करना शुरू किया ।गांव के सभी पुरूषों को आर्थिक सहायता के नाम से चमोली में आमंत्रित किया गया ।ठेकेदार के प्रलोभन पर सभी पुरूष चमोली के लिए रवाना हो गये ।उधर ठेकेदार के लोग मौके का लाभ उठाते हुए कुल्हाड़ी लेकर गांव के जंगलों में कटान करने लगे ।गौरा देवी ने जब यह दृश्य देखा तो वह आग बबूला हो गई।तुरन्त गाँव के महिलाओं तथा बच्चों को लेकर जंगल की ओर चल दी।ठेकेदार के लोगों का अपमान जनक व्यवहार करने पर भी गौरा देवी ने हार नहीं मानी ।अन्त अन्त में उन्होंने गौरा देवी पर बन्दूक तान दी।बन्दूक तानने पर गौरा देवी वृक्षों पर चिपक गई।गौरा देवी को देखकर गाँव के बच्चे और महिलाएं भी इसी तरह से पेड़ो पर चिपक गये ।गौरा देवी ने क्रांति कारी आवाज में कहा--हमारे लिए इन वृक्षों का महत्व जीवन से भी बढकर है ।इन वृक्षों में हमारे प्राण बसते हैं ।ये वन हमारे जीवन की आधार शिला है।इन्हें काटने से पहले तुम्हें कुल्हाड़ी हमारे ऊपर चलानी होगी।हम किसी भी स्थिति में पीछे हटने वालों में से नहीं हैं।गौरा देवी के इस अलौकिक तेज तेज के आगे ठेकेदार के आदमियों ने घुटने टेक दिए ।जंगल से भागने के लिए मजबूर हो गये।यह घटना आग की तरह चारों ओर फैल गई ।राष्ट्रीय स्तर का समाचार बन गईं ।समाचार पत्र  ,रेडियो,दूरदर्शन सभी में यह समाचार सुर्खियों में चलने लगा ।भारत सरकार ने जांच समिति बिठाई ।जिसमें निर्णय गाँव वालों के पक्ष में लिया गया।इससे गाँव का जंगल बच गया ।चिपको आन्दोलन इतिहास की महत्वपूर्ण घटना बन गई।पर्यावरण के क्षेत्र में गौरा देवी हमेशा के लिए हिमालय की पुत्री के नाम से प्रसिद्ध हो गई।
Share on Google Plus

About Abhivyakti

0 Comments:

Post a Comment