अभिव्यक्ति न्यूज़ : उत्तराखंड
नशा सर्वनाश का मूल है ---- भारत वर्ष सदियों से ही पूरे विश्व का मार्ग दर्शन करता रहा है ।इसी कारण इसे जगत गुरु के रूप में प्रतिष्ठा प्राप्त हुई ।हमारे शास्त्रों की मान्यता रही है कि--परमतत्व का साक्षात्कार करना ही जीवन का उद्देश्य होना चाहिए ।अलौकिक शक्ति का बोध करने के लिए जीवन का हर पहलू में आदर्शता का होना बहुत जरूरी है ।आदर्श मय जीवन यापन करने से ही लक्ष्य की प्राप्ति की जा सकती है ।आज हम पाश्चात्य संस्कृति को अपनाने के कारण अपने मूल भूत स्वरूप से भटक चुके हैं ।इस बात को हम भूल चुके हैं कि 84 लाख योनि भोगने के बाद ही मनुष्य जीवन की प्राप्ति हुई है ।इस जीवन की सार्थकता जीवन में नित् नये नये कार्य करने में है। आज सबसे बडा दुःखद तथा चिंतन का विषय यह है कि हमारी महत्वपूर्ण पूंजी सम्पूर्ण राष्ट्र की धरोहर युवा शक्ति नशा जैसी गंदी आदतों की ओर निरन्तर अग्रसर हो रही है।युवा वर्ग के अन्दर असीम शक्तियों का विशाल पुन्ज निहित रहता है ।हर असम्भव कार्य को वह बडी सहजता के साथ सम्पन्न कर सकता है ।लोहे तक के चने चबाने की क्षमता उसमें विधमान रहती है । ब्रिटिश शासकों से देश को आजाद कराने मे युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।जिसे नकारा नहीं जा सकता है ।युवा वर्ग की असीम शक्ति के महत्व को जानते हुए,राष्ट्र कवि मैथिलीशरण गुप्त जी ने युवा शक्ति का स्वागत इस प्रकार से किया-तुम भविष्य निधि भारत माँ की, तुम जननी की स्वर्णिम आशा, भटक न जाना पावन पथ से, तुम जन जन की हो अभिलाषा, दूषित वातावरण के कारण युवा वर्ग में नशे की सबसे ज्यादा लत है।इस गंदी आदत के कारण अपना सम्पूर्ण जीवन नष्ट कर देता है ।इस तरह की नशे की स्थिति शराब 'भांग 'अफीम आदि मादक पदार्थों के पीने से होती है ।यह एक प्रकार का विष है।जिसमें व्यक्ति अपने अन्दर ऊर्जा महसूस करता है ।लेकिन अन्दर ही अन्दर से खोखला हो जाता है ।उसकी प्रतिरोधक क्षमता समाप्त हो जाती है ।फलस्वरूप तरह तरह की बीमारियों से ग्रसित होने के कारण पूरे परिवार पर बोझ बन जाता है ।नशे वाले व्यक्ति का समाज में किसी तरह का महत्व नहीं रह जाता है ।समूचा जन समाज उसे हेय की दृष्टि से देखता है । नशे को सदियों से हर बुराई का प्रतीक माना गया है ।शराब का नशा एक प्रकार का जहरीला पदार्थ है।इसकी लत से हिंसा चोरी आत्महत्या आदि करने में व्यक्ति प्रवृत्त हो जाता है ।वाहन चालक नशे के ही कारण दुर्घटना कर देता है ।पति-पत्नी में रात दिन झगड़ा इसी नशे के कारण होता है ।मुँह 'गले ' फेफडों का कैन्सर 'ब्लड प्रेशर 'अवसाद 'कुन्ठा इन सबका कारण नशा है।इस तरह की स्थितियों को देखकर राष्ट्र पिता महात्मा गांधी जी ने कहा था---यदि मुझे एक घन्टे के लिए भारत का सर्वशक्तिमान शासक बना दिया जाए,तो पहला काम जो मैं करूंगा,वह यह होगा कि तुरन्त तमाम मदिरालयों को बिना किसी मुआवजा दिए बन्द करा दूंगा । शराबी व्यक्ति का मन मस्तिष्क दूषित बन जाता है ।गलत कार्यों को करने में उसे आनंद आता है ।आसुरी शक्ति के प्रभाव के कारण सही समझ समाप्त हो जाती है ।शराब के सन्दर्भ में एक बार महात्मा बुद्व ने कहा---जहाँ मदिरा को सम्मान दिया जाएगा ।वहां दुर्भिक्ष पडेंगे ।औषधियां निष्फल होंगी ।विपत्तियों के बादल मंडरायेंगे।शराब सबसे बुराई की जड है ।एक स्थति इस तरह से आ जाती है कि शराब व्यक्ति अपनी जीवन लीला नष्ट कर देता है ।मदिरापान की आदत पर आंग्ल भाषा के साहित्यकार मिल्टन का कथन है --संसार की सारी सेनायें मिलकर इतने मानवों और इतनी सम्पत्ति को नष्ट नहीं करती,जितनी कि मदिरापान की आदत,मदिरापान करने वाला व्यक्ति पुरे देश के लिये एक कलंक है । प्रति वर्ष इस बुरी लत को दूर करने के लिए 30जनवरी को नशा मुक्ति संकल्प,31मई को अन्तर्राष्ट्रीय धुम्रपान निषेध दिवस 26जून को अन्तर्राष्ट्रीय नशा निवारण 2सितम्बर से अक्टूबर तक भारत में नशा निषेध दिवस मनाया जाता है ।लेकिन सत्यता यह भी किसी से छिपी हुई नहीं है कि इन दिवसों की सार्थकता केवल भाषण देने तक ही सीमित रहती है । नशे से मुक्ति पाने के लिए समाज की इस भयंकर समस्या के लिए व्यक्ति के जीवन को भय तनाव और पलायन से मुक्त करना होगा।विद्यालयी शिक्षा पाठयक्रम में प्रेरणा दायिनी साहित्य तथा भारतीय संस्कृति के प्रेरक प्रसंगों को शामिल करना होगा ।जिससे भावी पीढ़ी का मार्ग दर्शन किया जा सके ।--लेखक---अखिलेश चन्द्र चमोला ।राज्यपाल पुरस्कार तथा अनेकों राष्ट्रीय सम्मानोपाधियो से सम्मानित । हिन्दी अध्यापक तथा नशा उन्मूलन प्रभारी शिक्षा विभाग जनपद पौडी गढवाल ।
नशा सर्वनाश का मूल है ---- भारत वर्ष सदियों से ही पूरे विश्व का मार्ग दर्शन करता रहा है ।इसी कारण इसे जगत गुरु के रूप में प्रतिष्ठा प्राप्त हुई ।हमारे शास्त्रों की मान्यता रही है कि--परमतत्व का साक्षात्कार करना ही जीवन का उद्देश्य होना चाहिए ।अलौकिक शक्ति का बोध करने के लिए जीवन का हर पहलू में आदर्शता का होना बहुत जरूरी है ।आदर्श मय जीवन यापन करने से ही लक्ष्य की प्राप्ति की जा सकती है ।आज हम पाश्चात्य संस्कृति को अपनाने के कारण अपने मूल भूत स्वरूप से भटक चुके हैं ।इस बात को हम भूल चुके हैं कि 84 लाख योनि भोगने के बाद ही मनुष्य जीवन की प्राप्ति हुई है ।इस जीवन की सार्थकता जीवन में नित् नये नये कार्य करने में है। आज सबसे बडा दुःखद तथा चिंतन का विषय यह है कि हमारी महत्वपूर्ण पूंजी सम्पूर्ण राष्ट्र की धरोहर युवा शक्ति नशा जैसी गंदी आदतों की ओर निरन्तर अग्रसर हो रही है।युवा वर्ग के अन्दर असीम शक्तियों का विशाल पुन्ज निहित रहता है ।हर असम्भव कार्य को वह बडी सहजता के साथ सम्पन्न कर सकता है ।लोहे तक के चने चबाने की क्षमता उसमें विधमान रहती है । ब्रिटिश शासकों से देश को आजाद कराने मे युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।जिसे नकारा नहीं जा सकता है ।युवा वर्ग की असीम शक्ति के महत्व को जानते हुए,राष्ट्र कवि मैथिलीशरण गुप्त जी ने युवा शक्ति का स्वागत इस प्रकार से किया-तुम भविष्य निधि भारत माँ की, तुम जननी की स्वर्णिम आशा, भटक न जाना पावन पथ से, तुम जन जन की हो अभिलाषा, दूषित वातावरण के कारण युवा वर्ग में नशे की सबसे ज्यादा लत है।इस गंदी आदत के कारण अपना सम्पूर्ण जीवन नष्ट कर देता है ।इस तरह की नशे की स्थिति शराब 'भांग 'अफीम आदि मादक पदार्थों के पीने से होती है ।यह एक प्रकार का विष है।जिसमें व्यक्ति अपने अन्दर ऊर्जा महसूस करता है ।लेकिन अन्दर ही अन्दर से खोखला हो जाता है ।उसकी प्रतिरोधक क्षमता समाप्त हो जाती है ।फलस्वरूप तरह तरह की बीमारियों से ग्रसित होने के कारण पूरे परिवार पर बोझ बन जाता है ।नशे वाले व्यक्ति का समाज में किसी तरह का महत्व नहीं रह जाता है ।समूचा जन समाज उसे हेय की दृष्टि से देखता है । नशे को सदियों से हर बुराई का प्रतीक माना गया है ।शराब का नशा एक प्रकार का जहरीला पदार्थ है।इसकी लत से हिंसा चोरी आत्महत्या आदि करने में व्यक्ति प्रवृत्त हो जाता है ।वाहन चालक नशे के ही कारण दुर्घटना कर देता है ।पति-पत्नी में रात दिन झगड़ा इसी नशे के कारण होता है ।मुँह 'गले ' फेफडों का कैन्सर 'ब्लड प्रेशर 'अवसाद 'कुन्ठा इन सबका कारण नशा है।इस तरह की स्थितियों को देखकर राष्ट्र पिता महात्मा गांधी जी ने कहा था---यदि मुझे एक घन्टे के लिए भारत का सर्वशक्तिमान शासक बना दिया जाए,तो पहला काम जो मैं करूंगा,वह यह होगा कि तुरन्त तमाम मदिरालयों को बिना किसी मुआवजा दिए बन्द करा दूंगा । शराबी व्यक्ति का मन मस्तिष्क दूषित बन जाता है ।गलत कार्यों को करने में उसे आनंद आता है ।आसुरी शक्ति के प्रभाव के कारण सही समझ समाप्त हो जाती है ।शराब के सन्दर्भ में एक बार महात्मा बुद्व ने कहा---जहाँ मदिरा को सम्मान दिया जाएगा ।वहां दुर्भिक्ष पडेंगे ।औषधियां निष्फल होंगी ।विपत्तियों के बादल मंडरायेंगे।शराब सबसे बुराई की जड है ।एक स्थति इस तरह से आ जाती है कि शराब व्यक्ति अपनी जीवन लीला नष्ट कर देता है ।मदिरापान की आदत पर आंग्ल भाषा के साहित्यकार मिल्टन का कथन है --संसार की सारी सेनायें मिलकर इतने मानवों और इतनी सम्पत्ति को नष्ट नहीं करती,जितनी कि मदिरापान की आदत,मदिरापान करने वाला व्यक्ति पुरे देश के लिये एक कलंक है । प्रति वर्ष इस बुरी लत को दूर करने के लिए 30जनवरी को नशा मुक्ति संकल्प,31मई को अन्तर्राष्ट्रीय धुम्रपान निषेध दिवस 26जून को अन्तर्राष्ट्रीय नशा निवारण 2सितम्बर से अक्टूबर तक भारत में नशा निषेध दिवस मनाया जाता है ।लेकिन सत्यता यह भी किसी से छिपी हुई नहीं है कि इन दिवसों की सार्थकता केवल भाषण देने तक ही सीमित रहती है । नशे से मुक्ति पाने के लिए समाज की इस भयंकर समस्या के लिए व्यक्ति के जीवन को भय तनाव और पलायन से मुक्त करना होगा।विद्यालयी शिक्षा पाठयक्रम में प्रेरणा दायिनी साहित्य तथा भारतीय संस्कृति के प्रेरक प्रसंगों को शामिल करना होगा ।जिससे भावी पीढ़ी का मार्ग दर्शन किया जा सके ।--लेखक---अखिलेश चन्द्र चमोला ।राज्यपाल पुरस्कार तथा अनेकों राष्ट्रीय सम्मानोपाधियो से सम्मानित । हिन्दी अध्यापक तथा नशा उन्मूलन प्रभारी शिक्षा विभाग जनपद पौडी गढवाल ।
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