शिक्षाविद् व शोधकर्ताओं ने बच्चों पर किया सर्वे

अभिव्यक्ति न्यूज़ : उत्तराखंड 
कार्टून पर रामायण व महाभारत भारी
   पिछले एक माह में खूब देखी बच्चों ने रामायण
कोविड 19 संक्रमण के प्रभाव के चलते देश में लॉक डाउन का चौथा चरण चल रहा है। पहला लाग डाउन 24 मार्च 14 अप्रैल के दौरान लागू किया गया था और इसके बाद इस अवधि को बढ़ाकर 3 मई किया गया । इसमें 30 लोग डाउन 4 मई से 17 मई के बीच लागू हुआ। लाक डाउन के दौरान सभी तरह की गतिविधियों पर रोक लगी। व्यवसायिक प्रतिष्ठान ,सरकारी कार्यालयों के अलावा सभी शिक्षण संस्थान भी बंद हैं।
शैक्षणिक गतिविधि बंद होने के चलते स्कूली छात्रों को घर के अंदर ही रहने को मजबूर होना पड़ा है। खासकर 7 से 14 वर्ष आयु के बच्चों को 24 घंटे घर में रखना किसी चुनौती से कम नहीं है , लेकिन लाग डाउन के कारण बच्चों को घर की चाहरदीवारी के अंदर रहने को मजबूर होना पड़ा है। 
इस दौरान बच्चों की घर के अंदर की क्या गतिविधियां रही और उन्होंने इस समय का उपयोग किस तरह से किया । इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए कोविड 19 संक्रमण का स्कूली छात्रों पर प्रभाव एक अध्ययन : उत्तराखंड राज्य के विशेष संदर्भ में , शीर्षक से शोध कार्य किया। जिसमें 10 प्रश्नों की एक प्रश्नावली तैयार की गई। इसमें 7 से 14 वर्ष की आयु की स्कूली बच्चों की अभिरुचि जानने का प्रयास किया गया।   राज्य के 13 जनपदों के 130 सरकारी एवं गैर सरकारी स्कूलों के 1428 छात्र छात्राओं ने प्रश्नावली भरी। इसमें श्रीनगर के सेंट थेरेसा ,रूद्रप्रयाग के माता गोविन्द गिरी विद्या मंदिर इंटर कॉलेज व सीमांत जनपद पिथौरागढ़, मुन्सयारी के विवेकानंद विद्या मंदिर इंटर कॉलेज के छात्रों से मास सैपलिंग( बड़े पैमाने पर नमूने भरवाना) करवाई गई।
 मुख्य शोधकर्ता डा बृजेश सती ने बताया कि इस शोध अध्ययन का निष्कर्ष यह निकला कि बच्चों ने इस दौरान टेलीविजन देखा ,इंडोर गेम और शतरंज खेला एवं अपने पसंदीदा सीरियल और कार्टून शो नेटवर्क को भी देखा। हमारा शोध का सबसे महत्वपूर्ण निष्कर्ष यह निकला कि भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा मार्च के अंतिम सप्ताह से अप्रैल माह पर्यंत रामानंद सागर कृत रामायण का प्रसारण एक महत्वपूर्ण पहल रही , जिसको 130  स्कूलों के 85% बच्चों ने देखा । इसके अलावा इस शोध निष्कर्ष से यह तथ्यभी  सामने  आया कि बच्चों ने अपने पसंदीदा कार्टून शो के बजाय रामायण के प्रसारण को वरीयता दी । इतना ही  नहीं बच्चों ने कार्टून नेटवर्क में प्रसारित होने वाले पोगो, कार्टून नेटवर्क आदि के बजाय दूरदर्शन के चैनलों पर प्रसारित रामायण व महाभारत को देखना ज्यादा पसंद किया।  शोध अध्ययन में शामिल  60 फीसद छात्रों ने रामायण महाभारत का प्रसारण देखा, जबकि पिछले एक माह में कार्टून नेटवर्क देखने वाले छात्रों का प्रतिशत 35 रहा ,इसके अलावा न्यूज़ चैनल व अन्य चैनल देखने वालों का प्रतिशत दस से भी कम रहा ।
अक्सर परिजनों की  यह शिकायत रहती है कि बच्चे मोबाइल फोन का उपयोग ज्यादा करते हैं , लेकिन शोध अध्ययन के दौरान पूछे गए सवाल के जवाब में बच्चों ने स्वीकार किया कि वे मोबाइल फोन का उपयोग करते हैं ।और मोबाइल फोन का उपयोग करने वाले बच्चों की कुल तादाद 90 फीसद  रही। लेकिन मोबाइल फोन का उपयोग पढ़ाई के लिए किया।
 कुल मिलाकर शोध अध्ययन का यह निष्कर्ष निकला कि लाकडाउन  के दौरान रामायण व महाभारत का प्रसारण बच्चों के लिए मनोरंजन का नया  माध्यम रहा। निश्चित रूप से यह बात साफ होती है कि यदि बच्चों को मनोरंजन के नए  एवं रोचक साधन उपलब्ध कराए जाएं तो वे उत्साह से  देखना पसंद करेगें।
 शोध अध्ययन की अवधि 1  से 15 मई 
 शोध अध्ययन का क्षेत्र:  राज्य के 13 जनपद
कुल स्कूल : 125
 छात्र सम्मलित हुए: 1436
समूह सर्वेक्षण : 
1 माई गोविन्द गिरी इंटर कॉलेज,  रुद्रप्रयाग 
2 सेंट थैरेसा स्कूल, श्रीनगर, गढवाल 
3 एसडीए कॉलेज रामगढ़, तल्ला, नैनीताल 
4  विवेकानंद विद्या मंदिर,मुन्स्यारी,पिथौरागढ  ।
 स्कूलों का विवरण जनपद वार
 जनपद चमोली के 20 निजी एवं सरकारी स्कूलों के 32 छात्र
रुद्रप्रयाग जनपद के 8 निजी स्कूलों के 110 
 पौड़ी जनपद के 9 सरकारी एवं गैर सरकारी स्कूलों के 260 बच्चों ने प्रश्नावली भरी
इसमें सेंट थेरेसा स्कूल के 500 बच्चों ने समूह सर्वेक्षण में भाग लिया ।
जनपद टिहरी के 8 निजी स्कूलों के 23 बच्चों ने प्रतिभाग किया ।
उत्तरकाशी जनपद के  12 निजी स्कूलों एवं सरकारी स्कूलों के 46 बच्चों ने प्रश्नावली भरी 
देहरादून जनपद के 33 सरकारी एवं निजी स्कूलों के 78 बच्चों ने प्रश्नावली भरी 
हरिद्वार जनपद के 5 स्कूलों के 50 बच्चों ने प्रश्नावली भरी 
कुमाऊं मंडल के 6 जनपदों के विवरण इस प्रकार है
बागेश्वर जनपद के 4 स्कूलों के 20 छात्र
चंपावत जनपद के 4 स्कूलों के 22 
नैनीताल जनपद के 10 स्कूलों के 100 छात्र
उधम सिंह नगर के 6 स्कूलों के 72 बच्चों ने प्रश्नावली भरी तथा सीमांत जनपद पिथौरागढ़ के 5 स्कूलों के 80 बच्चों ने प्रश्नावली भरकर अपनी राय दी।
सहयोगी 
डा रत्नलाल कौशिक
डा प्रदीप बल्हारा
नीतेश बोडाई, शोध छात्र
  डिजाइन व ले आउट : इं शिवम कुंडू
 यह शोध कार्य स्वयं के संसाधनों से किया गया है ।इसमें किसी भी संस्था , सरकार या व्यक्ति द्वारा किसी भी तरह की कोई वित्तीय सहायता नहीं दी गई है। 
 सुझाव 

शोध अध्ययन से निकले निष्कर्षों के आधार पर निम्नांकित सुझाव केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री व राज्य के शिक्षा मंत्री को प्रेषित किए जाएंगे ताकि भविष्य में  रामायण एवं महाभारत के महत्वपूर्ण प्रसंगों को पाठ्यक्रम में शामिल किया जा सके। शोध अध्ययन में निकले निष्कर्ष के आधार पर हमारा मानना है कि जूनियर हाईस्कूल स्तर तक रामायण एवं महाभारत के महत्वपूर्ण घटनाक्रमों को हिंदी एवं अंग्रेजी विषयों में छात्रों को बढ़ाया जाना चाहिए । रामायण और महाभारत के चरित्र एवं महापुरुषों को पाठ्यक्रम में शामिल किए जाने का लाभ यह होगा कि छात्रों को,  जीवन जीने की शैली गुरुकुल शिक्षा पद्धति, गुरु शिष्य परंपरा, रचनात्मक समाज के निर्माण में सहयोग, नैतिक जीवन में आदर्श व मूल्य  स्थापित करने में मददगार साबित हो सकता  है।

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