अभिव्यक्ति न्यूज़ : उत्तराखंड
देहरादून। `रामचन्द्र कह गए सिया से, ऐसा कलयुग आएगा, हंस चुगेगा दाना घुनका, कौआ मोती खाएगा’ यह बात वर्तमान समय में उत्तराखण्ड सरकार पर सटीक बैठती है। वैश्विक महामारी के इस दौर में सरकार ने शराब को भी जरूरी सेवाओं में शामिल कर दिया है जबकि राजधानी सहित पर्वतीय क्षेत्रों में शराब का हमेशा विरोध होता रहा है। यह सब देख कर तो लोग यह भी कहने लगे हैं कि कहीं सस्ते गल्ले की दुकानों में भी राशन कार्डों में भी शराब की बिक्री शुरू न हो जाए।
वैश्विक महामारी कोविड—19 के दौर में जहां आम जनता बेहाल है। सरकार इस संक्रमण से बचने के लिए लॉकडाउन लगा रही है। चार जिलों देहरादून, उधम सिंह नगर, नैनीताल और हरिद्वार में आज और कल का लॉकडाउन लगाया गया है। हालांकि यह लॉकडाउन और बढ़ेगा या नहीं इस पर सरकार का रूख साफ नहीं है। सरकार ने इस लॉकडाउन अवधि में कुछ आवश्यक सेवाओं को छोड़ कर सब बंद रखने की गाइड लाइन जारी की है। जहां एक तरफ खाने के रेस्टोरेंट बंद रखने के आदेश जारी किये गये हैं वही शराब की दुकानों को खुला रखना अपने—आप मेें कई सवाल पैदा करता है।
हालात यह हैं कि बाजार सहित मॉल आदि सब बंद लेकिन शराब की दुकानें खुली हैं। गजब की बात तो यह है कि शराब को भी आवश्यक सेवाओं में शामिल कर दिया गया है। जबकि शराब का प्रदेश में हमेशा ही विरोध होता रहा है। पर्वतीय क्षेत्रों में तो शराब के विरोध में बड़े—बड़े आंदोलन चले। पर्वतीय क्षेत्रों की महिलाओं ने तो कई—कई दिनों तक शराब के विरोध में आंदोलन किए। जिसका असर भी दिखाई दिया। यहां तक कि कई गांव के लोगों ने सामुहिक रूप से शादियों और अन्य समारोहों में शराब के प्रयोग पर पाबंदी लगा दी है। शराब का शादी—समारोहों में प्रयोग करने वालों का सामुहिक बहिष्कार तक किया जाता है। इसके बावजूद सरकार द्वारा शराब को इतनी महत्ता दिया जाना जनता की समझ से परे है।
शराब का देवभूमि में इतना विरोध होता रहा है। इसके बावजूद सरकार ने इसे आवश्यक सेवाओं में शामिल कर दिया है। अब कहीं ऐसा न हो कि भविष्य में सरकार सस्ते गल्ले की दुकानों में एपीएल और बीपीएल के कार्डों में भी शराब देने के आदेश जारी कर दे। जब इन चार जिलों में पूर्ण लॉकडाउन किया गया है और लोगों को घरों से निकलने पर प्रतिबंध लगाया गया है तो शराब की दुकानें किसके लिए खुली रखी गयी हैं। शराब की दुकानें खुली रख के तो एक तरह से लोगों को शराब का लालच ही दिया जा रहा है।
देहरादून। `रामचन्द्र कह गए सिया से, ऐसा कलयुग आएगा, हंस चुगेगा दाना घुनका, कौआ मोती खाएगा’ यह बात वर्तमान समय में उत्तराखण्ड सरकार पर सटीक बैठती है। वैश्विक महामारी के इस दौर में सरकार ने शराब को भी जरूरी सेवाओं में शामिल कर दिया है जबकि राजधानी सहित पर्वतीय क्षेत्रों में शराब का हमेशा विरोध होता रहा है। यह सब देख कर तो लोग यह भी कहने लगे हैं कि कहीं सस्ते गल्ले की दुकानों में भी राशन कार्डों में भी शराब की बिक्री शुरू न हो जाए।
वैश्विक महामारी कोविड—19 के दौर में जहां आम जनता बेहाल है। सरकार इस संक्रमण से बचने के लिए लॉकडाउन लगा रही है। चार जिलों देहरादून, उधम सिंह नगर, नैनीताल और हरिद्वार में आज और कल का लॉकडाउन लगाया गया है। हालांकि यह लॉकडाउन और बढ़ेगा या नहीं इस पर सरकार का रूख साफ नहीं है। सरकार ने इस लॉकडाउन अवधि में कुछ आवश्यक सेवाओं को छोड़ कर सब बंद रखने की गाइड लाइन जारी की है। जहां एक तरफ खाने के रेस्टोरेंट बंद रखने के आदेश जारी किये गये हैं वही शराब की दुकानों को खुला रखना अपने—आप मेें कई सवाल पैदा करता है।
हालात यह हैं कि बाजार सहित मॉल आदि सब बंद लेकिन शराब की दुकानें खुली हैं। गजब की बात तो यह है कि शराब को भी आवश्यक सेवाओं में शामिल कर दिया गया है। जबकि शराब का प्रदेश में हमेशा ही विरोध होता रहा है। पर्वतीय क्षेत्रों में तो शराब के विरोध में बड़े—बड़े आंदोलन चले। पर्वतीय क्षेत्रों की महिलाओं ने तो कई—कई दिनों तक शराब के विरोध में आंदोलन किए। जिसका असर भी दिखाई दिया। यहां तक कि कई गांव के लोगों ने सामुहिक रूप से शादियों और अन्य समारोहों में शराब के प्रयोग पर पाबंदी लगा दी है। शराब का शादी—समारोहों में प्रयोग करने वालों का सामुहिक बहिष्कार तक किया जाता है। इसके बावजूद सरकार द्वारा शराब को इतनी महत्ता दिया जाना जनता की समझ से परे है।
शराब का देवभूमि में इतना विरोध होता रहा है। इसके बावजूद सरकार ने इसे आवश्यक सेवाओं में शामिल कर दिया है। अब कहीं ऐसा न हो कि भविष्य में सरकार सस्ते गल्ले की दुकानों में एपीएल और बीपीएल के कार्डों में भी शराब देने के आदेश जारी कर दे। जब इन चार जिलों में पूर्ण लॉकडाउन किया गया है और लोगों को घरों से निकलने पर प्रतिबंध लगाया गया है तो शराब की दुकानें किसके लिए खुली रखी गयी हैं। शराब की दुकानें खुली रख के तो एक तरह से लोगों को शराब का लालच ही दिया जा रहा है।
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