ब्यूरो चीफ:- हर्ष सिंघल (देहरादून)
वैली ऑफ वर्ड्स लिटरेचर फेस्टिवल के पहले वर्चुअल संस्करण का शुक्रवार को केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने शुभारंभ किया। उद्घाटन अवसर पर तिब्बती प्रधानमंत्री डा. लोबसंग सांगे ने तिब्बती धर्म गुरु दलाई लामा का संदेश पढ़ा। फेस्टिवल के चौथे संस्करण के पहले दिन आयोजित सत्रों में दुनिया के कई हिस्सों से दर्शक ऑनलाइन शामिल हुए। कार्यक्रम में सात अलग-अलग श्रेणियों में वैली ऑफ वर्ड्स बुक अवॉर्ड के विजेताओं के नाम भी घोषित किए गए। इन सभी को आयोजन के अंतिम दिन 23 नवंबर को केंद्रीय शिक्षा मंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक सम्मानित करेंगे। कार्यक्रम के संयोजक डा. संजीव चोपड़ा ने कार्यक्रम के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। तिब्बतन मोनेस्ट्री मेंड्रोलिन मठ के तिब्बती भिक्षुओं ने शाक्य मुनि मंत्र के उच्चारण के साथ कार्यक्रम की शुरूआत की। तिब्बती प्रधानमंत्री डा. लोबसंग सांगे ने तिब्बती धर्म गुरु दलाई लामा का संदेश पढ़ा और आयोजन को शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि वैली ऑफ वर्ड्स भारत के साहित्य व कला भंडार और गौरवशाली संस्कृति को अधिक समृद्ध करने का काम कर रहा है। उत्तराखंड और तिब्बत के वर्षों से एक-दूसरे के संबंध रहे हैं।
कैलाश मानसरोवर हिंदुओं के साथ ही बौद्ध और जैन धर्म को मानने वालों के लिए भी पवित्र स्थान है। उन्होंने कहा कि प्राचीन और आधुनिक ज्ञान का संयोजन हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए भी लाभकारी होगा। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे तिब्बती लोग अपने देश की रक्षा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत और तिब्बत की जोड़ी के लिए आने वाला वक्त बेहद संभावनाओं वाला है। विशेषकर साहित्य के क्षेत्र में हम एक दूसरे के लिए नई संभावनाओं को जन्म दे सकते हैं।
उत्सव का विधिवत रूप से उद्घाटन करते हुए केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने आयोजन की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि कोरोना के चलते इस वक्त कोई भी आयोजन करना बेहद चुनौतीपूर्ण है। उसके बावजूद आयोजक न केवल आयोजन कर रहे हैं, बल्कि उसकी सीमाओं को भी पहले से ज्यादा विस्तृत किया है। उन्होंने कहा कि ऐसे समय में वेबीनार, ई बुक्स, वीडियो कॉल, ऑनलाइन डिस्कशन ने मुश्किल समय में हमारी पहुंच बढ़ाई है। उन्होंने कहा कि तीन दिन तक चलने वाले वर्चुअल आयोजन को हजारों लोग लाइव भी देख सकेंगे।
यह उत्सव अंग्रेजी और हिंदी के साथ ही क्षेत्रीय भाषाओं के साहित्य को भी नई ऊंचाईयां प्रदान करेगा। चौथे संस्करण में आयोजन एक क्षेत्र विशेष की सीमाओं से बाहर निकलकर ग्लोबल हो रहा है, जिससे साहित्य के विविध स्वरूपों को पसंद करने वाले लोग जुड़ भी रहे हैं। उन्होंने प्रसिद्ध लेखक रस्किन बॉन्ड और गणेश सैली की किताब सवाय सागा ऑफ आईकॉन का विमोचन भी किया। प्रधान ने कहा कि किताब का एक-एक शब्द पाठकों के लिए बहुमूल्य है।
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