अभिव्यक्ति न्यूज़ : उत्तराखंड
कोरोना महामारी का खतरा अब प्रदेश में काफी बढ़ गया है। महामारी के कारण पूरा जन जीवन अस्त व्यस्त हो गया है। उत्तराखंड प्रदेश में कुल मरीजों की संख्या 1300 के पास पहुंच चुकी है ,तमाम शहरों के कई इलाकों के साथ-साथ अब गांव भी कैंटोनमेंट जोन बनाए गए हैं जिसमें लगभग सभी गतिविधियां रोकी गई हैं। राजधानी देहरादून में तो शनिवार और रविवार को लगभग पूर्ण लॉक डाउन किया गया है ऐसी स्थिति में बोर्ड परीक्षाएं करवाना बहुत ही खतरनाक है। जिस तरीके से कोरोना संक्रमण फैल रहा है उसको देखते हुए बोर्ड परीक्षाएं तुरंत स्थगित कर दी जानी चाहिए। जब बड़ी संख्या में छात्र एवं शिक्षक विद्यालय पहुंचेंगे एवं बच्चे आपस में सामाजिक दूरी जैसी सावधानिया नहीं रख पाएंगे तो निश्चित रूप से कोरोना संक्रमण बढ़ने की बहुत अधिक संभावनाएं बढ़ जाएंगी। इजराइल में भी इसी प्रकार का मामला देखने को मिला जहां पर सरकार द्वारा विद्यालय खोले गए लेकिन विद्यालय खोलते ही सैकड़ों बच्चे संक्रमित हो गए और हजारों बच्चों को को कोरेंटिन करना पड़ा। इस प्रकार की गंभीर स्थिति होने से सरकार को बचना चाहिए। बच्चों को जानबूझकर इस प्रकार के खतरे में विलकुल भी नहीं डाला जा सकता है।बच्चों का स्वास्थ्य एवं जीवन महत्वपूर्ण है, परीक्षाओं को बाद में कराया जा सकता है तथा इसके स्थान पर कोईऔर व्यवस्था अपनायी जा सकती है। इसके साथ ही साथ लाकडाउन तथा संक्रमण के डर से बच्चे भी बहुत आशंकित हैं उनके अभिभावक बहुत ही डरे हैं तथा ऐसी परिस्थिति में छात्र भी मनोवैज्ञानिक रूप से परीक्षाएं देने की स्थिति में नहीं है। छात्र इस महामारी के दौरान परेशान रहे है। आर्थिक रूप से मध्यम एवं निम्न श्रेणी के अभिभावकों को होने वाली आर्थिक परेशानियों का असर भी बच्चों के मनोविज्ञान पर पड़ना स्वाभाविक है। इस प्रकार की कठिन एवं विपरीत परिस्थितियों में छात्रों एवं अभिभावकों के स्वास्थ्य को देखते हुए बोर्ड परीक्षाओं के बचे हुए प्रश्न पत्र कराना बिल्कुल भी जायज नहीं है तथा बोर्ड परीक्षा कराने का निर्णय तुरंत स्थगित किया जाना चाहिए। सरकार को इसके लिए एक अलग तरह की व्यवस्था अपनानी चाहिए। परीक्षाओं के स्थान पर छात्रों को अन्य विषयों के अंकों के औसत के बराबर अंक दिए जा सकते हैं। इससे सभी बच्चों को उनकी योग्यता अनुसार अंक मिल जाएंगे। और यदि यह संभव नहीं हो तो इसको कोराना महामारी के संकट के कम होने पर ही परीक्षाएं कराई जा सकती हैं लेकिन वर्तमान परिस्थितियों में बोर्ड परीक्षाएं कराना बहुत ही घातक हो सकता है। सरकार को इस गंभीर स्थिति के बारे मे बहुत ही संवेदनशीलता का परिचय देना चाहिए। परीक्षाओं के स्थान पर औसत अंक दिये जा सकते हैं। जिस पर सरकार को गंभीरता से विचार करना चाहिए ऐसा करके पूरी जनता को एक बड़ी परेशानी से बचाया जा सकता है। इसके साथ ही साथ सरकार को भी परीक्षाओं के स्थान पर महामारी के निवारण के लिए अथवा इस महामारी के संक्रमण को रोकने के लिए और अधिक समय और आवश्यक संसाधन मिल सकेंगे अन्यथा सरकार को परीक्षाएं आयोजित करने में बहुत बड़ी व्यवस्था करनी पड़ेगी जो कि वर्तमान परिस्थितियों में बहुत अधिक उचित व लाभदायक नहीं है। इसलिए उत्तराखंड क्रांति दल मांग करता है कि कोराना महामारी के कारण उत्पन्न विषम परिस्थिति में बोर्ड परीक्षाएं बच्चों के स्वास्थ्य एवं जीवन के मध्यनजर जनहित में शीघ्र स्थगित कर देनी चाहिए।
कोरोना महामारी का खतरा अब प्रदेश में काफी बढ़ गया है। महामारी के कारण पूरा जन जीवन अस्त व्यस्त हो गया है। उत्तराखंड प्रदेश में कुल मरीजों की संख्या 1300 के पास पहुंच चुकी है ,तमाम शहरों के कई इलाकों के साथ-साथ अब गांव भी कैंटोनमेंट जोन बनाए गए हैं जिसमें लगभग सभी गतिविधियां रोकी गई हैं। राजधानी देहरादून में तो शनिवार और रविवार को लगभग पूर्ण लॉक डाउन किया गया है ऐसी स्थिति में बोर्ड परीक्षाएं करवाना बहुत ही खतरनाक है। जिस तरीके से कोरोना संक्रमण फैल रहा है उसको देखते हुए बोर्ड परीक्षाएं तुरंत स्थगित कर दी जानी चाहिए। जब बड़ी संख्या में छात्र एवं शिक्षक विद्यालय पहुंचेंगे एवं बच्चे आपस में सामाजिक दूरी जैसी सावधानिया नहीं रख पाएंगे तो निश्चित रूप से कोरोना संक्रमण बढ़ने की बहुत अधिक संभावनाएं बढ़ जाएंगी। इजराइल में भी इसी प्रकार का मामला देखने को मिला जहां पर सरकार द्वारा विद्यालय खोले गए लेकिन विद्यालय खोलते ही सैकड़ों बच्चे संक्रमित हो गए और हजारों बच्चों को को कोरेंटिन करना पड़ा। इस प्रकार की गंभीर स्थिति होने से सरकार को बचना चाहिए। बच्चों को जानबूझकर इस प्रकार के खतरे में विलकुल भी नहीं डाला जा सकता है।बच्चों का स्वास्थ्य एवं जीवन महत्वपूर्ण है, परीक्षाओं को बाद में कराया जा सकता है तथा इसके स्थान पर कोईऔर व्यवस्था अपनायी जा सकती है। इसके साथ ही साथ लाकडाउन तथा संक्रमण के डर से बच्चे भी बहुत आशंकित हैं उनके अभिभावक बहुत ही डरे हैं तथा ऐसी परिस्थिति में छात्र भी मनोवैज्ञानिक रूप से परीक्षाएं देने की स्थिति में नहीं है। छात्र इस महामारी के दौरान परेशान रहे है। आर्थिक रूप से मध्यम एवं निम्न श्रेणी के अभिभावकों को होने वाली आर्थिक परेशानियों का असर भी बच्चों के मनोविज्ञान पर पड़ना स्वाभाविक है। इस प्रकार की कठिन एवं विपरीत परिस्थितियों में छात्रों एवं अभिभावकों के स्वास्थ्य को देखते हुए बोर्ड परीक्षाओं के बचे हुए प्रश्न पत्र कराना बिल्कुल भी जायज नहीं है तथा बोर्ड परीक्षा कराने का निर्णय तुरंत स्थगित किया जाना चाहिए। सरकार को इसके लिए एक अलग तरह की व्यवस्था अपनानी चाहिए। परीक्षाओं के स्थान पर छात्रों को अन्य विषयों के अंकों के औसत के बराबर अंक दिए जा सकते हैं। इससे सभी बच्चों को उनकी योग्यता अनुसार अंक मिल जाएंगे। और यदि यह संभव नहीं हो तो इसको कोराना महामारी के संकट के कम होने पर ही परीक्षाएं कराई जा सकती हैं लेकिन वर्तमान परिस्थितियों में बोर्ड परीक्षाएं कराना बहुत ही घातक हो सकता है। सरकार को इस गंभीर स्थिति के बारे मे बहुत ही संवेदनशीलता का परिचय देना चाहिए। परीक्षाओं के स्थान पर औसत अंक दिये जा सकते हैं। जिस पर सरकार को गंभीरता से विचार करना चाहिए ऐसा करके पूरी जनता को एक बड़ी परेशानी से बचाया जा सकता है। इसके साथ ही साथ सरकार को भी परीक्षाओं के स्थान पर महामारी के निवारण के लिए अथवा इस महामारी के संक्रमण को रोकने के लिए और अधिक समय और आवश्यक संसाधन मिल सकेंगे अन्यथा सरकार को परीक्षाएं आयोजित करने में बहुत बड़ी व्यवस्था करनी पड़ेगी जो कि वर्तमान परिस्थितियों में बहुत अधिक उचित व लाभदायक नहीं है। इसलिए उत्तराखंड क्रांति दल मांग करता है कि कोराना महामारी के कारण उत्पन्न विषम परिस्थिति में बोर्ड परीक्षाएं बच्चों के स्वास्थ्य एवं जीवन के मध्यनजर जनहित में शीघ्र स्थगित कर देनी चाहिए।
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